अध्याय 1 सौरमंडल मे पृथ्वी
NCERT पर आधारित
सौर्यमंडल मे पृथ्वी यह अध्याय कल्पनाशील एवं खगोल विज्ञान से जुड़े महत्वपूर्ण रोचक जानकारीया देता है। इस अध्याय को समझाने लिए कुछ उदाहरण दिए गए है,
संसार कितना विचित्र है? हम अपने परिवार के छोटे सदस्य होते है, हमारे ही परिवार मे हमसे बढ़े सदस्य जैसे भैया, चाचा, पिता व दादा जी होते है, इन सब के जन्म मे काफी विभिन्नता होती है, इसी प्रकार ब्रह्मांड मे भी सभी खगोलीय पिंडों के जन्म मे पर्याप्त अंतर पाया जाता है । चुकी खगोलीय पिंडों के जन्म के बारे मे पूर्ण रूप से हम नहीं कह सकते है । क्योंकि विज्ञान एक गतिशील विषय है आये दिन कुछ न कुछ नए खोज होते रहते है
- इसी प्रकार ब्रह्मांड है,
- ब्रह्मांड के बाद आकशगंगा
- एवं आकाशगंगा मे तारों का समूह , और साथ ही साथ ग्रह, उपग्रह, व अन्य खगोलीय पिंड ।
- इन सभी खगोलीय पिंड के समूह को सौर्यमंडल कहते है।
- ब्रह्मांड जिसे न पूर्ण रूप से देखा जा सकता है और न ही पहुँच व समझा जा सकता है ।
- हम जिस आकाशगंगा के परिवार है उन्हे मंदाकिनी नाम दिया गया है।
तारे क्या है
सूर्यास्त के बाद आसमान मे छोटे छोटे रूप मे दिखाई देने वाले चमकदार बिन्दु को ही तारा कहा जाता है। ये तारे गैसों के बने होते है इनके पास अपनी ऊष्मा व प्रकाश होता है, इन्ही ऊष्मा व प्रकाश के कारण हम इनसे लाखों करोड़ों किलो मीटर दूर होते हुए भी देख पाते है।
कुछ करके जाने – – –
एक प्रकाश जलाए एवं प्रकाश की ऊष्मा कितनी दूर तक जाती है वो देखे एवं कल्पना करे की तारे की आकृति कितना विशाल एवं कितना प्रकाश होगा जो हमे इतने दूर से भी प्रतीत होती है?
तारों की विशेष जानकारी
- आसमान मे तारों के द्वारा बनाई गई विविध प्रकार के आकृतियों को नक्षत्रमंडल कहते है।
- कुछ की आकृतियों को हम सरलता से पहचान कर सकते है,
- जैसे – सप्त ऋषि नक्षत्रमंडल “ यह नक्षत्रमंडल सात तारों का समूह होता है, प्राचीन काल मे लोग रात्रि मे दिशा का निर्धारण इन तारों की सहायता से करते थे,
- सप्त ऋषि नक्षत्रमंडल उत्तर दिशा का प्रतीक होता है।
सौरमंडल
सौर्यमंडल वह खगोलीय व्यवस्था है जिसमे सूर्य केंद्र मे होता है या मुखिया होता है । और सूर्य के चारों तरफ ग्रह, उपग्रह,क्षुद्रग्रह एवं धूमकेतु आदि खगोलीय पिंड चक्कर लगाते है । अथवा सूर्य, आठ ग्रह, उपग्रह तथा कुछ खगोलीय पिंड जैसे क्षुद्रग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौर्यमंडल का निर्माण करते है । उसे हम सौर्य परिवार का नाम देते है, जिसका मुखिया सूर्य है ।
उदाहरण से समझे – जिस प्रकार घर के मुखिया दादा जी होते है उन्हे सूर्य मानिए एवं उनके बच्चे को ग्रह समझिए, इनके बच्चे को उपग्रह समझिए, एवं इस बच्चे के बच्चों को क्षुद्रग्रह एवं धूमकेतु मान लीजिए ।
ये सभी लोग जिस प्रकार से मिलकर परिवार का निर्माण करते है उसी तरह से ये खगोलीय पिंड सौर्यमंडल का निर्माण करती है ।
- सभी खगोलीय पिंड सूर्य के चारों तरफ दीर्घवृत्ताकार में चक्कर लगाते है । इन ग्रहों में दो प्रकार के बल काम कर रहे होते है – एक बल जो ग्रहों को सूर्य की तरफ खिचता है जिसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते है । और दूसरा जो ग्रहों को बाहर की ओर धकेलता है । इन बल को अपकेंद्र बल कहते है । इन दोनों बलों के कारण ग्रहों मे संतुलन बना रहता है ।
- उदाहरण से समझे – आप एक पत्थर को रस्सी मे बाँधकर उसे हाथ से चारों तरफ घुमए, आप पाएंगे की वह पत्थर न तो नीचे गिरेगा न ही वह आपसे दूर जा पाएगा, लेकिन यदि आपने घूमने की प्रक्रिया मे वृद्धि कर दी तो वह नीचे की तरफ आना शुरू कर देगा मतलब गुरुत्वाकर्षण उसे अपने पास खिचने लगेगा । और जो बल पत्थर को हवा मे लटकाए हुआ है वह अपकेंद्रीय बल है जो पत्थर को नीचे नहीं गिरने देता ।
सूर्य
सूर्य सौर्यमंडल के केंद्र मे स्थित एक तारा है। यह बहुत बड़ा है एवं अत्यधिक गर्म गैसों से बना है इसके अंदर का गुरुत्वाकर्षण बल सौर्यमंडल के सभी खगोलीय पिंडों को बाँधे रखता है । सूर्य के आलवा अन्य आनंत तारे ब्रह्मांड मे पाए जाते है सूर्य हमसे लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है इसलिए हमे वह अन्य तारों (जो रात मे दिखाई पड़ते है ) की अपेक्षा बड़ा दिखाई देता है।
ग्रह
हमारे सूर्य मण्डल मे आठ ग्रह हैं । सूर्य की दूरी के अनुसार, वे हैं : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, यूरेनस, तथा नेपच्यून ।
प्लूटो जिसे एक ग्रह माना जाता था परंतु अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संगठन ने अपनी बैठक (अगस्त 2006) में यह निर्णय लिया कि किसी ग्रह को ग्रह मानने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना पड़ेगा । उन शर्तों के अनुसार प्लेटों ग्रह मे शामिल न हो सका । बल्कि प्लेटों को बौने ग्रह कहा जाने लगा ।
पृथ्वी
सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह है । आकार में, यह पाँचवा सबसे बड़ा ग्रह है । यह ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी है । यही कारण है कि इसके आकार को भू-आभ कहा जाता है ।
जीवन के लिए अनुकूल परिस्थियाँ संभवतः केवल पृथ्वी पर ही पाई जाती है । पृथ्वी न तो अधिक गर्म है और न ही अधिक ठंडा । यह पानी एवं वायु उपस्थित है जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है । वायु मे जीवन के लिए आवश्यक गैस जैसे ऑक्सीजन मौजूद है । इन्ही कारणों से पृथ्वी सौरमंडल का सबसे अद्भुत ग्रह है ।
अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई पड़ती है क्योंकि इसकी दो- तिहाई सतह पानी से ढका हुआ है इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है ।
चंद्रमा
पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है – चंद्रमा । यह इतना बड़ा इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों की अपेक्षा नजदीक है । यह हमसे लगभग 384400 किलोमीटर दूर है । चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर 27 दिन में पूरा करता है ।
उपग्रह क्या है ?
एक खगोलीय पिंड है जो ग्रहों के चारों ओर उसी प्रकार चक्कर लगता है जिस प्रकार ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते है ।
क्षुद्र ग्रह
तारों, ग्रहों एवं उपग्रहों के अतिरिक्त, असंख्य छोटे पिंड जो मंगल और वृहस्पति के बीच घूमते है उन्हे क्षुद्रग्रह कहा जाता है ये छोटे छोटे पिंड भी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाते है ।
उल्कापिंड
उल्कापिंड एक छोटे खगोलीय पिंड होता है जो सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगता है कभी खबी ये पृथ्वी के इतने नजदीक आ जाते है कि इनकी प्रवृत्ति पृथ्वी पर गिरने की होती है। इस प्रक्रिया के दौरान वायु के साथ घर्षण होने के कारण ये गर्म होकर जल जाते है । फलस्वरूप चमकदार प्रकाश उत्पन्न होता है । ये उल्का कभी कभी पूर्ण रूप से जले बिना धरती पर गिर जाता है जिससे धरातल पर गड्डे बन जाते है ।
क्या आप इनके भी बारे मे पढ़ना चाहेंगे जो इतिहास और हर देश भक्त के दिलों मे आज भी विराजमान है –
रानी लक्ष्मीबाई – प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महा नायिका ।
रानी दुर्गावती – मुगलों को 2 बार युद्ध मे लोहा लेने वाली महानायिका ।
तात्या टोपे – 1857 की क्रांति के सबसे बड़े महानायक, जिनके सामने अंग्रेज भी घुटने टेक दिए थे ।
जगदीश चंद्र बसु – भारतीय वैज्ञानिक, संसाधनों के कमी मे भी खोज करने वाले वैज्ञानिक
वीर अब्दुल हमीद – पाकिस्तान की टैंक को अकेले उढ़ाने वाले वीर ।