एक विद्यार्थी के लिए सबसे जरूरी क्या ?
आचार्य प्रशांत जो आज के आधुनिक युग के दार्शनिक, विचारक, शाकाहार के प्रचारक और आध्यात्मिक सामाजिक – जागरण की सशक्त आवाज हैं । इन्होंने एक विद्यार्थी के सवाल पर जवाब दिया थी की एक विद्यार्थी के लिए सबसे जरूरी क्या चीजे होनी चाहिए ?
प्रश्नकर्ता – आचार्य प्रशांत जी से सवाल करता है कि – आचार्य जी, विद्यार्थी की दिनचर्या में कौनसी चार पाँच चीजें होनी –ही –होनी चाहिए ?
आचार्य प्रशांत जी जवाब देते हैं की —- चार पाँच चीजें नहीं होनी चाहिए, एक चीज होनी चाहिए — वो है विद्या ।
विद्यार्थी हो न, चार-पाँच अर्थी थोड़े ही हो कि चार पाँच चीजें होंगी । एक, ये जो एकत्व हैं ये सबकुछ होता हैं । और जहाँ चित्त चार पाँच में भटक गया । तो फिर भटक गया । हाँ एक के पीछे चार पाँच, पाँच सात, सौ आ जाए तो अलग बात है आने दो हमें क्या करना हैं!
जिंदगी को एक के पीछे लगाना सीखो।
दुनिया में दो ही तरीके के इंसान होते हैं एक वो जिनका दिल एक के साथ लग गया है और दूसरे वो जो छितराये घूम रहे हैं जनामें के पीछे, कभी इस टुकड़े के सौदागर कभी उस टुकड़े के आशिक । ‘एक’, उसी को अद्वैत बोलते हैं सूफियों ने उसी को ‘तौहीद’ बोला हैं
वो बता देगा कब सोना हैं, पढ़ने के लिए । सही समय पर सोये हो, तो फिर पढ़ने के लिए सही समय पर उठ भी जाओगे, सब हो जाएगा अपनेआप ।
और पूछ किससे रहे हो मुझसे ! जिसके पास चार पाँच चीजें होती ही नहीं । मैं तो ऐसे ही.. जैसे साहब ने बोला था न ‘मोतिया मेरा नाम’ तो मैं भी कुत्ता हूँ, तुम कुत्ते से पूछ रहे हो की चार पाँच मालिक के नाम बता दो, मैं तो बोलूँगा , ‘भौं – भौं ।
मुझे क्या पता कि चार पाँच कौनसी चीजें होती हैं ? एक मेरा आका उसी के पीछे मैं दुम हिलाता घूमता हूँ । एक! एक! एक !
आचार्य प्रशांत जी के द्वारा दिया गया, हर विद्यार्थियों के लिए निर्देश अमृत के समान हैं इन्होंने स्पष्ट कर दिया कि एक विद्यार्थी के लिए सबसे जरूरी क्या है ? क्योंकि
युवावस्था बहुत ही नाजुक समय होता है यही समय निर्धारित कर देता है कि जीवन किस दिशा मे जाएगा । कैरियर की चुनौती, प्रेम और अन्य सम्बद्ध विषयक सवाल एक युवा मन को हमेशा झँझोड़ते रहते हैं। निर्णय करना बड़ा मुश्किल होता है ज्यादा संभावना यही रहती है की निर्णय परिवार समाज शिक्षा और मीडिया से प्रभावित रूप से सुविधजनक लग सकते हैं पर इससे जीवन बंधनों में बढ़ता रहता हैं ।
आजकल का युवा खासतौर से भारत का विभिन्न पारिवारिक सामाजिक शैक्षणिक व मीडिया व्यावसायिक, शारीरिक दुविधाएं, प्रेम व रिश्ते तथा गहरे आस्तित्ववान जीवन संबंधी प्रश्नों से जुड़ी बहुधा चुनौतियों का सामना करता है । युवा वर्ग एक ऐसी नाजुक स्थिति में हैं जहाँ से जिंदगी में गलत मोड़ लेना काफी आसान हैं ।
आचार्य प्रशांत अपने एक अनोखे ही तरीके से युवा पीढ़ी की ऊर्जा और संघर्षों को संबोधित करते हैं वह युवाओ को भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के माध्यम से युवाओ के अंदर जोश भरते हैं और सही दिशा का निर्देश देते है ।
इन्हे भी पढे